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जाते

जाते

स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने जाते गंडक नदी पार कर फिसलन भरे कीचड़ वाले रास्ते से स्कूल जाते शिक्षक, इतनी कर्तव्यनिष्ठा के बाद भी लोग भविष्य निर्माता जाते जाता है पंचांगों में इस संवत् के गत और वर्तमान वर्ष दोनों लिखे जाते हैं दक्षिण के

जाते जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता संपूर्ण ग़ज़ल ऑडियो एवं वीडियो के साथ रेख़्ता पर

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